यूपी सरकार का नजूल संपत्ति विधेयक: अचानक बैकफुट पर क्यों आई योगी सरकार?
यूपी सरकार का नजूल संपत्ति विधेयक: अचानक बैकफुट पर क्यों आई योगी सरकार?
खेत खजाना : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा हाल ही में पेश किया गया नजूल संपत्ति विधेयक (nazul property bill)अचानक से विवादों में आ गया है। इस विधेयक को बुधवार को विधानसभा में पास किया गया था, लेकिन एक दिन बाद ही इसे विधानपरिषद में प्रवर समिति के पास भेज दिया गया। यह कदम सरकार की नीति और रणनीति पर सवाल उठाता है।
विधेयक का विधानसभा में पास होना और विधान परिषद में बदलाव
विधानसभा का पास होना: योगी सरकार ने नजूल संपत्ति विधेयक (nazul property bill)को विधानसभा में ध्वनिमत से पास कराया। इस विधेयक में नजूल जमीनों से संबंधित प्रावधान थे, जिनमें सरकारी नियंत्रण और प्रबंधन के प्रावधान शामिल थे।
विधान परिषद में बदलाव: विधेयक को विधान परिषद में पेश करते ही बीजेपी के विधान परिषद सदस्य भूपेंद्र चौधरी ने इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग की। उनके अनुरोध पर विधेयक को समीक्षा के लिए प्रवर समिति को सौंप दिया गया।
बीजेपी के भीतर का असंतोष
नजूल संपत्ति विधेयक (nazul property bill)को लेकर बीजेपी के भीतर असंतोष की लहर देखी गई। कई विधायक, विशेषकर राजा भैया और हर्ष वाजपेई, इस विधेयक के विरोध में लामबंद हो गए। पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने भी संशोधनों की मांग की। इन आंतरिक विरोधों को देखते हुए, सरकार ने इसे प्रवर समिति के पास भेजने का निर्णय लिया।
मुख्यमंत्री का बैकफुट पर आना
विधेयक को ठंडे बस्ते में डालने के निर्णय के पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी भूमिका रही। विधेयक के खिलाफ विधायकों के फीडबैक और संभावित विपक्षी विरोध को देखते हुए, मुख्यमंत्री ने इसे पुनर्विचार के लिए प्रवर समिति को भेजने का आदेश दिया। इस कदम से विधेयक कुछ दिनों के लिए ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
संगठन और विपक्ष
कांग्रेस पार्टी ने विधेयक के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी थी। पूर्व एमएलसी दीपक सिंह और कांग्रेस के अन्य नेताओं ने इस मुद्दे पर विरोध जताया था। इसके अलावा, बीजेपी की सहयोगी अनुप्रिया पटेल ने भी विधेयक को वापस लेने की मांग की। इन सब कारणों ने सरकार के निर्णय को प्रभावित किया।
नजूल भूमि (nazul land)
नजूल भूमि (nazul land)वह भूमि है जिसे ब्रिटिश काल में आंदोलनकारियों से जब्त कर लिया गया था और स्वतंत्रता के बाद यह भूमि सरकारी नियंत्रण में आ गई। आजादी के बाद, राज्य सरकारें इन भूमि को लीज पर देती हैं, जिनकी मियाद 15 से 99 साल के बीच हो सकती है।
नजूल संपत्ति विधेयक (nazul property bill)के संदर्भ में योगी सरकार की नीति में अचानक बदलाव से यह स्पष्ट होता है कि भूमि संबंधी मुद्दों पर सरकार के भीतर और संगठन में चिंता बढ़ गई है। यह मामला राजनीतिक और कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो गया है और इसका असर आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।